Mai Jalta Raha | Diwali, Hindi Poem
मैं जलता रहा,
हवाओं से लड़ता रहा ॥
मोम पिघलता रहा,
आसुओं सा टपकता रहा ॥
बरसों से सोया आसमान,
आज सारी रात चमकता रहा ॥
बरसों से ख़ामोश जहान,
आज सारी रात गूंजता रहा ॥